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नाम की वाणी |
मेरे नाम का वैखरी से निरंतर उच्चारण करो,
फिर हरि नाम का कीर्तन मध्यमा से होने लगेगा
और फिर पश्यंती तथा अंत में हरि नाम ही
तुमको सर्वोच्च परा वाणी दे देगा।
निरंतर मेरा नाम लो! एक क्षण,
एक निमेष भी व्यर्थ मत करो।
परम् श्रेद्धय श्री श्री सीतारामदास ओंकार नाथ जी

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